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स्कूल में जात पात व छुआछूत का शिकार हुआ भीम | School me Jaat Paat | Bhim ke saath jaat paat kon karta tha |

स्कूल में जात पात व छुआछूत का शिकार हुआ भीम

स्कूल में जात पात व छुआछूत का शिकार हुआ भीम

भीम व अन्य अछूत बच्चों को जाति के कारण स्कूल में आए दिन अपमानित होना पड़ता था. सतारा की स्कूल में भीम की पढ़ाई चल रही थी. इसी दौरान बाल उम्र में ही उसे जात - पांत, भेदभाव और छुआछूत के कई कड़वे अनुभव हुए जिन्हें वह जीवन भर भुला नहीं पाया. स्कूल में हिंदू सवर्ण बच्चे भीम व उसके बड़े भाई आनंदराव को साथ में बैंच पर बैठने नहीं देते थे. दोनों भाई इसके लिए घर से टाट का एक टुकड़ा रोज साथ ले जाते थे और कमरे के बाहर बैठना पड़ता था. टाट के टुकड़े को भी स्कूल में नहीं रखने देते थे क्योंकि उसे छूने से स्कूल के अन्य चीजों के अपवित्र होने का डर था. जब भीम को प्यास लगती थी तो नल की टोटी खुद पानी नहीं पी सकते थे. नल की टोटी चपरासी या किसी सवर्ण बालक द्वारा खोले जाने पर ही भीम व अन्य अछूत बालक पानी पी पाते थे.

ऐसा नहीं होने पर वे कभी कभी प्यासे ही रह जाते थे और घर आकर ही प्यास बुझाते थे. लंच समय में रुखा सुखा खाने के बाद उसे पानी तभी मिल पाता था जब सभी सवर्ण बच्चे पानी पी लेते थे. कभी-कभी सवर्ण बच्चे खुद पानी पीने के बाद भीम को परेशान करने के लिए टोटी बंद कर कर देते थे. और भीम व भाई आनंदराव मुंह ताकते ही रह जाते थे.

स्कूल में जात पात व छुआछूत का शिकार हुआ भीम

अमानवीयता की हद तो तब होती थी कि कुछ टीचर भी अछूत बच्चों के साथ छुआछूत करते थे. कुछ टीचर अछूत बच्चों की किताबों का नोट बुक्स को हाथ नहीं लगाते थे. जब टीचर क्लास रूम की और आते थे तो भीम व अछूत दूसरे बच्चे एक तरफ कमरे के बाहर अनाथ से खड़े रहते थे और जब टीचर रूम के अंदर जाते तो दरवाजे के बाहर बैठ जाते थे. इससे वह बोर्ड पर लिखे अक्षरों को दूर से अच्छी तरह पढ़ भी नहीं पाते थे. एक बार अध्यापक ने भीम को ब्लैक बोर्ड पर रेखा गणित के एक सिद्धांत का सिद्ध करने के लिए बुलाया तो सारे विद्यार्थियों ने

शोरगुल मचा कर ब्लैक बोर्ड के पास रखे हुए अपने लंच के डिब्बों को वहां से तुरंत हटा लिया ताकि वह अपवित्र ना हो जाए. उसके बाद ही भीम मैथ के उस फार्मूले से ब्लैक बोर्ड पर सिद्ध कर पाया.

भीम को खेल में काफी रुचि थी लेकिन स्कूल में सवर्ण बच्चों के साथ खेलने की पाबंदी थी इसलिए स्कूल के बाद घर पर सिर्फ महार बालकों के साथ ही खेल पाता था. शिक्षा के कथित मंदिरों में छुआछूत और जात पात का ऐसा घृणित रूप देखकर बालक भीम बहुत दुखी रहता था.



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