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मां भीमाबाई की याद में बिलख पढ़ता था भीम | भारत का सविंधान बाबा साहेब जी ने लिखा

मां भीमाबाई की याद में बिलख पढ़ता था भीम

मां भीमाबाई की याद में बिलख पढ़ता था भीम

जब कभी सौतेली मां, स्वर्गवासी मां भीमाबाई के कपड़े व गहने पहन लेती थी तो अबोध (innocent) बालक भीम इस बात को सहन नहीं कर पाता था. इस बात पर वह सौतेली मां से झगड़ पड़ता था और बाद में भीमाबाई को याद करते हुए बिलख पड़ता था. दरअसल भीम अपनी सौतेली मां को मां के रूप में कभी स्वीकार ही नहीं कर पाया. भीम एक होशियार व होनहार बालक था लेकिन पढ़ाई लिखाई पर कभी ध्यान नहीं देता था. स्कूल में जो कुछ पढ़ाया जाता था, वह उसे ही पढ़ता था. उसका ज्यादा समय खेलकूद में ही गुजरता था. स्कूल से आते ही वह अपना बस्ता ( School Bag ) घर के किसी कोने में फेंक देता और पड़ोस के बच्चों के साथ खेलने चला जाता था. फिर वही लड़ाई झगड़ा और मारपीट का का सिलसिला और माता-पिता को शिकायतें. बचपन में भीम बहुत शरारती था.

सतारा में घर के पास ही बरगद के पेड़ पर बच्चे रोज " सूरपाष्या " खेल खेलते थे. इस दौरान मारपीट करने, झगड़े मोल लेने, उधम मचाने और नये-नये भखेड़े खड़े करने के कारण माता-पिता आए दिन मामलों को सुलझाते व लोगों को समझाते हुए काफी परेशान रहते थे. भीम की पढ़ाई ऐसी ही चलती रही.

मां भीमाबाई की याद में बिलख पढ़ता था भीम

उस समय तो यह कतई नहीं लगता था कि यह बालक बाद में विश्व रत्न के रूप में लोकप्रिय होगा. ' पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं ' इस कहावत को भीम ने सच साबित कर भारत के संविधान निर्माता बने. भीम नटखट व शिकायतें लाने वाला जरूर था लेकिन बुद्धि में बहुत तेज था. शारीरिक रूप से बहुत हष्ट पुष्ट था, हल्के घुंघराले बाल व गौर वर्ण के साथ व सुंदर व आकर्षक लगता था. भीमराव बचपन से ही नटखट बालक था लेकिन पिता राम जी को भीम से काफी उम्मीदें थी. उनके मन में हमेशा या भावना रहती थी कि मेरा बेटा अपने वंश का नाम रोशन करेगा.

कभी-कभी तो अपने मित्र साथियों के समूह में खुलकर ऐसा कहकर भीम के आशाओं का इजहार करते थे. राम जी के पूर्वज " नागवंशी नाथ " अनुयाई थे और राम जी " कबीरपंथी " थे.

जब राम जी का परिवार मुंबई में रहता था तो सूबेदार जी खुद बच्चों के कपड़े धोते थे तथा स्कूल जाते समय पूरी तरह साफ सुथरे व कपड़ों को इस्त्री कर भेजते थे. पेंट कमीज फटी होती तो खुद अपने हाथों से सिलाई करते थे. उन्हें खाने, पहनने व बातचीत में अच्छा सभ्य सलीका पसंद था. रहन-सहन में गंदगी उन्हें कतई पसंद नहीं थी.


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