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दहेज प्रथा दहेज प्रथा की उत्पत्ति के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं | दहेज प्रथा | दहेज प्रथाओं को कैसे रोके |

                          दहेज प्रथा के कारण

दहेज प्रथा
दहेज प्रथा की उत्पत्ति के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं -

1. अनुलोम विवाह - अनुलोम विवाह के चलन से उच्च कुल के लड़कों की मांग बढ़ती गई | उच्च कुल के लड़कों की पिता ऐसी स्थिति में बड़ी-बड़ी धनराशियों की मांग करने लगे और इस प्रकार इस प्रथा का जन्म हुआ |

2. अंतरविवाह - अंतरविवाह के नियम के कारण किसी भी कन्या का विवाह उसी की जाति अथवा उपजाति के पुरुष से होना आवश्यक था | इस कारण विवाह का क्षेत्र सीमित हो गया | एक जाति के भीतर योग्य वरों की संख्या कम हो गई | इसके कारण ' एक अनार सौ बीमार ' जैसी हालत हो गई | वरों की संख्या कम होने के कारण उनके मूल्य में वृद्धि हो गई और इस तरह दहेज प्रथा विकसित हुई |

3. संयुक्त परिवारों में स्त्रियों का शोषण - स्मृतिकाल तक स्त्रियों की स्थिति अत्यधिक दयनीय थी | संयुक्त परिवारों में नव बंधुओं को प्रताड़ित किया जाता था ऐसी परिस्थिति में माता-पिता कन्या को अधिक से अधिक दहेज देने लगे ताकि उसे पति के परिवार में अधिक प्रतिष्ठा मिले | इससे आरंभ में तो लाभ हुआ किंतु आगे चलकर या धन प्राप्त करने का संस्थागत साधन बन गया |

4. विवाह की अनिवार्यता - हिंदू धर्म में कन्या का विवाह करना हर माता-पिता का एक अनिवार्य धार्मिक कृत्य बताया गया है | धार्मिक विचारों के कारण पुण्यो की प्राप्ति और पाप के भय से विवाह एक अनिवार्य कृति हो गया है | परंतु विवाह की यह अनिवार्यता उन कन्याओं के पिताओं के लिए समस्या बन गई हैं जो कुरूप एवं विकलांग होती हैं | ऐसी कन्याओं से कोई पुरुष उसी स्थिति में विवाह करता है जब उसे इससे बड़ा आर्थिक लाभ हो | ऐसी कन्याओं के विवाह की समस्याओं को सुलझाने के लिए माता-पिता बड़ी मात्रा में धन देने लगे | इसी के बाद में दहेज प्रथा का स्वरूप ले लिया | 

5. धन के महत्त्व में वृद्धि - वर्तमान समय में भौतिकवादी विचारधारा के कारण धन का महत्व बढ़ गया है | इससे दहेज प्रथा और अधिक सशक्त हो गई है | आज धन सामाजिक प्रतिष्ठा का आधार हो चुका है | इसी कारण विवाह जैसे पवित्र संस्कार को भी अर्थ लाभ का साधन समझा जाने लगा है | 

6. महंगी शिक्षा प्रणाली - माता-पिता अपने बच्चों को उच्च शिक्षा विशेषकर चिकित्सा तथा प्रौद्योगिकी तकनीकी शिक्षा आदि दिलाने के लिए बहुत अधिक आर्थिक व्यय करते हैं | इस शिक्षा में हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं | अतः लड़के के माता-पिता उसके विवाह द्वारा इसकी क्षतिपूर्ति करने का प्रयास करते हैं ताकि खर्च की गई राशि ब्याज सहित वापस मिल जाए | 

7. एक पापपूर्ण चक्र - दहेज एक ऐसा पापपूर्ण चक्र बन गया है जो स्वचालित है | इसी कारण इस चक्र को रोकना इतना सरल नहीं है | अधिकांश लोग अपने लड़कों के विवाह में अधिकाधिक दहेज की मांग इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें स्वयं अपनी कन्याओं के विवाह के लिए दहेज देना पड़ता है | इस प्रकार व्यवहारिक रूप में इस प्रथा की उपेक्षा करना कठिन हो जाता है और यह चक्र अनवरत रूप की गतिमान रहता है |


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