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सावित्रीबाई फुले जी का संक्षिप्त में परिचय | भारत की प्रथम शिक्षिका | सावित्रीबाई फुले कौन है | 3 जनवरी शिक्षक दिवस | सावित्रीबाई फुले जी की सामाजिक मुश्किले | Brief introduction of Savitribai Phule | सावित्री फुले जी का निधन

अपने लिये सब जीते है दूसरो के लिए जीना, लक्ष्य जब तक पूरा ना हो जाएं अपने कार्य को जारी रखने की प्रेरणा देने वाली। #3जनवरी_शिक्षक_दिवस

सावित्रीबाई फुले जी
भारत की प्रथम शिक्षिका, मनुवाद के खिलाफ ताउम्र संघर्षरत रहीं क्रान्तिज्योति माता सावित्री बाई फुले जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। जय सावित्री, जय भीम

सावित्रीबाई फुले जी का संक्षिप्त में परिचय-

Brief introduction of Savitribai Phule

सावित्रीबाई फुले जी का जन्म 3 जनवरी सन 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव में हुआ था | इनके पिता जी का नाम खान्दोजी नैवेसी और माताजी का नाम लक्ष्मी था |

सावित्रीबाई फूले जी का बाल विवाह 9 वर्ष की उम्र में हुआ था |

सावित्री फुले जी का विवाह 1840 में ज्योति राव फूले जी के साथ हुआ था | सावित्री फुले जी भारत की प्रथम महिला शिक्षिका के रूप में जानी जाती हैं |

सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम भारतीय महिला शिक्षक, महान समाज सेविका, महिला एवं दलित वंचित वर्गों की शिक्षा व समानता के लिए जानी जाती हैं | महात्मा ज्योति राव फूले जी को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है | ज्योति राव फूले जी को महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है | सावित्रीबाई जी के संरक्षक, गुरु और समर्थक ज्योतिराव जी थे |

सावित्री जी ने अपने जीवन को एक मिशनरी की तरह जीवन व्यतीत किया जिसका केवल एक ही उद्देश्य था ; विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना |

सावित्रीबाई फुले जी की सामाजिक मुश्किले -

• सावित्रीबाई फुले जी जब अपने स्कूल पढ़ने के लिए जाती थी तो विरोधि लोग उन पर पत्थर मारते थे और जातिसूचक अपशब्द बोलते थे |

• सावित्रीबाई जी जब अपने आस-पड़ोस में बच्चों को पढ़ाने के लिए जाती थी तो सावित्री जी के ऊपर वहीं पड़ोस की महिला गाय का गोबर सावित्री जी के उपर फेकती थी |

• पड़ोस की महिलाओं ने यह कहकर ताना मारती थी कि पढ़ लिख कर क्या करेगी और तू हमारे बच्चों का भविष्य खराब करने में लगी हुई है |

• जब सावित्री जी महिलाओं व कन्याओं को शिक्षा देने के लिए जाती थी तो रास्ते में लोग उन पर कीचड़, गोबर, आदि फेंका करते थे |

• सावित्री जी एक साड़ी अपने झोले में रखती थी और स्कूल पहुंचकर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थी |

-इसी तरह की बहुत सी सामाजिक मुश्किलें सावित्री जी को झेलनी पड़ती थी |

( अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं ) 

                चौका बर्तन से बहुत जरूरी है पढ़ाई

                क्या तुम्हें मेरी बात समझ में आई?

सावित्रीबाई फुले जी के द्वारा विद्यालय की स्थापना-

• सावित्री जी ने 5 सितंबर 1848 में पुणे में अपने पति (ज्योतिराव फूले जी) के साथ मिलकर अलग-अलग जातियों की 9 छात्राओं के साथ उन्होंने महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की | 

• सिर्फ 1 साल में महात्मा ज्योतिराव फूले जी और सावित्रीबाई फूले जी ने 5 नए विद्यालय खोलने में सफल हुए |

• लड़कियों की शिक्षा (Education) पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी | सावित्रीबाई फुले उस समय ना सिर्फ खुद पढ़ी लिखी ; बल्कि दूसरे महिलाओं को पढ़ने का भी इंतजाम किया |

• एक महिला प्रिंसिपल के लिए, 1848 में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा |

सावित्री फुले जी का निधन-

10 मार्च 1897 को (प्लेग महामारी) के कारण सावित्री जी का निधन हो गया था |








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