मजदूरों - किसानों के हित के लिए, जमीदारी प्रथा के विरोध में बिल
महाराष्ट्र के गांवों में ज्यादातर महार अछूत लोग सरकारी चौकीदार का काम करते थे, जिसके बदले में उन्हें "वतनी" जमीन मिली थी. लेकिन उस पर उनका कोई अधिकार नहीं था. जमीन के छोटे टुकड़े होने से उस पर पैदावार नहीं के बराबर होती थी जबकि सरकारी चौकीदार के रूप में उनसे रात दिन गुलामों की तरह काम लिया जाता था.इसलिए अंबेडकर ने वतनी जमीन प्रथा को खत्म कर, खेत जोतने वालों का भूमि पर अधिकार हो, इस मकसद का बिल विधानसभा में पेश किया. लेकिन कांग्रेस सरकार का समर्थन ना मिलने के कारण बिल पास नहीं हो सका.
इसके बाद ( कोंकण ) क्षेत्र की खेतीप्रथा, जो जमीदारी प्रथा जैसी थी. उसे भी खत्म करने के लिए अंबेडकर जी ने बिल पेश किया. इसके लिए महाराष्ट्र के कई जिलों में संपर्क कर मजदूर किसानों का मोर्चा कौंसिल हॉल पर भी निकाला.
लेकिन कांग्रेस यह कतई नहीं चाहती थी कि अंबेडकर का कोई कार्यक्रम सफल हो. हालांकि दोनों बिल मजदूर किसानों की रोजी रोटी से जुड़े थे लेकिन कांग्रेस नेताओं को इसकी बिल्कुल चिंता नहीं थी.31 जुलाई 1937 को अंबेडकर जी एक मुकदमे के सिलसिले के "धुलिया" गए चालीसगांव स्टेशन पर उनका जोरदार स्वागत किया गया. अंबेडकर कौन है? अंबेडकर हमारा राजा है.
जैसे नारों से आसमान गूंज उठा. ऐसा सम्मान तो उस राजा को भी नहीं मिला होगा जो राजा परिवार में पैदा होने के कारण राजा बना हो. बाबा साहब तो ऐसे राजा थे जो गरीबों, मेहनतकशों व शोषितों के दिलों में राज करते थे.
रात को धुलिया के "विजयानंद थिएटर" में अंबेडकर जी के सम्मान में एक सभा का आयोजन किया गया. वहां उन्होंने कहा, हमें यह बात अच्छी तरह ध्यान में रखनी चाहिए कि अछूतों के कल्याण के प्रति ध्यान ना देने वाले अंग्रेजों की जगह अब सामाजिक जीवन में अत्याचार करने वाले लोगों ने सत्ता पर कब्जा कर लिया है. यह लोग कांग्रेस से हैं इसलिए अब सावधान रहने की जरूरत है.
हर मंत्रिमंडल में ब्राह्मण ही नेता है, ऐसे में दलितों के लिए कोई स्थान नहीं है ( कांग्रेस पार्टी ) मंत्रिमंडल द्वारा ब्राह्मणवाद को घुसा रही है.